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गया के जज पर पटना हाईकोर्ट ने लिया यह फैसला

नव-बिहार न्यूज नेटवर्क (NNN) : आज न्याय के मंदिर में फैसला सुनाने वाले जज को आम लोगों द्वारा भगवान की तरह माना जाता है. जज से हमेशा ईमानदारी और न्याय की उम्मीद ही की जाती है. जज पर ऊँगली उठाना मतलब न्याय व्यवस्था पर चोट करना ही होता है. बावजूद इसके यदि यह जानकारी सामने आये की जज भ्रष्टाचार में लिप्त हैं तो यह सुन कर भारी ठेंस पहुँचती है. साथ ही न्याय व्यवस्था पर सवालिया निशान लग जाता है. जज की गरिमा भी दागदार हो जाती है. ऐसा ही एक मामला गया में हुआ है.

जानकारी के अनुसार गया के जिला जज सजल मंदिलवार को भ्रष्टाचार समेत अन्य कई मामलों में शामिल  पाये जाने के बाद उन्हें  डिमोट करके हटा दिया गया है. उनको शेखपुरा फैमिली कोर्ट का प्रधान न्यायाधीश बनाया गया है. हाईकोर्ट प्रशासन, कई और न्यायिक पदाधिकारियों की शिकायतों की जांच कर रहा है.

इंस्पेक्टिंग जज (निरीक्षी न्यायाधीश) ने गया जिला जज के खिलाफ जांच के बाद कार्रवाई की अनुशंसा की थी. इस अनुशंसा को पटना हाईकोर्ट की स्टैंडिंग कमेटी ने अपने स्तर से भी जांचा, परखा और जिला जज मंदिलवार को डिमोट करने और गया से हटाने का आदेश दिया.

बता दें कि इससे पहले उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति और गैंगरेप के आरोपी गायत्री प्रजापति को जमानत देने वाले न्यायाधीश को हाईकोर्ट की प्रशासनिक समिति ने बर्खास्त कर दिया था. जस्टिस सुधीर अग्रवाल मिश्रा पोस्को कोर्ट में तैनात थे और 30 अप्रैल को रिटायर हो रहे थे. गौरतलब है कि गायत्री प्रजापति को जमानत के खिलाफ सरकार की याचिका पर कोर्ट ने सुनवाई की थी, कोर्ट इस दौरान मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई के संकेत दिए गये थे. जिसके बाद उन्हें रिटायरमेंट से महज एक दिन पहले बर्खास्त कर दिया गया था.