दिल्ली में हुए सामूहिक दुष्कर्म मामले
पर चिंता के सुर विश्व पंचायत के मंच पर भी सुनाई दिए। न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र संगठन की संस्था
यूएन वूमेन के कार्यकारी बोर्ड की पहली बैठक का आरंभ ही दिल्ली में 16
दिसंबर 2012 को हुए सामूहिक दुष्कर्म मामले के उल्लेख के साथ हुआ।
बैठक में
भारत ने भरोसा दिया कि सरकार महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर संवेदनशील है और
दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिलेगी।
संयुक्त राष्ट्र संघ की अंडर सेक्रेटरी जनरल और यूएन वूमेन की कार्यकारी
निदेशक मैडम बेशले ने उद्घाटन भाषण में कहा कि भारत में बीते दिनों जो दुखद
घटना हुई, उसे लेकर न केवल उस देश में लोगों का गुस्सा देखने को मिला,
बल्कि पूरी दुनिया में उसके विरोध की प्रतिध्वनि सुनाई दी।
दिल्ली सामूहिक
दुष्कर्म के साथ ही अमेरिका के ओहायो में 16 वर्षीय लड़की से सामूहिक
दुष्कर्म और पाकिस्तान में कट्टरपंथियों द्वारा 14 साल की मलाला को गोली
मारने के मामले का हवाला देते हुए विश्व के सभी देशों को महिलाओं के
विरुद्ध हिंसा रोकने के लिए संकल्प लेने को कहा। महत्वपूर्ण है कि संयुक्त राष्ट्र के तहत महिलाओं की स्थिति पर बने आयोग की 57वीं बैठक जल्द ही होनी
है, जिसमें महिलाओं के खिलाफ अपराध व हिंसा के हर स्वरूप पर रोकथाम एक अहम
विषय होगा।
बैठक के दौरान भारत का पक्ष रखते हुए राजदूत हरदीप पुरी ने कहा
कि सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि दिल्ली दुष्कर्म मामले में यथाशीघ्र न्याय
हो और दोषियों को उनके गुनाह के अनुरूप सख्त से सख्त सजा मिले ताकि एक
संदेश जाए।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि ने कहा कि भारत
में एक भी महिला के साथ अपराध या हिंसा की घटना बहुत है और इसे स्वीकार
नहीं किया जा सकता। भारत ने बैठक में संयुक्त राष्ट्र मानकों के मुताबिक
महिलाओं की स्थिति सुधारने का संकल्प भी जताया। हालांकि भारत की ओर से रखे
गए दावों के मुकाबले जमीनी हकीकत यह है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले
में भारत दुनिया के कई मुल्कों से पीछे है। संयुक्त राष्ट्र के ही आंकड़ों
के मुताबिक भारत में करीब 40 फीसद पुरुष महिला को पीटने को जायज मानते
हैं।