बिहार के करीब चार हजार शासकीय चिकित्सक
अपनी मांगों को लेकर सोमवार की मध्य रात्रि से हड़ताल पर चले गए थे ।
जिसे मंगलवार की देर रात वापस ले लिया गया है | चिकित्सकों की हड़ताल से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, रेफरल अस्पताल,
अनुमंडलीय अस्पताल और सदर अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई ।
चिकित्सकों की मांगों में केन्द्रीय वेतनमान देने, संविदा के
आधार पर नियुक्त चिकित्सकों को नियमित करने और कार्य के दौरान सुरक्षा देने सहित कई अन्य बातें शामिल थी ।
आधार पर नियुक्त चिकित्सकों को नियमित करने और कार्य के दौरान सुरक्षा देने सहित कई अन्य बातें शामिल थी ।
इंडियन
मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने भी बिहार स्वास्थ्य सेवा संघ (भासा) के आह्वान
पर की गई इस हड़ताल का समर्थन किया था । भासा के महासचिव डॉ़ अजय कुमार ने
मंगलवार को बताया कि सरकार उनकी मांगों पर विचार करने को तैयार नहीं है,
ऐसे में उनके सामने हड़ताल पर जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।
उन्होंने
कहा कि दो दिनों की सांकेतिक हड़ताल के बाद भी अगर सरकार उनकी मागों को
पूरा नहीं करती, तो चिकित्सक अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे।
इधर,
राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अपर सचिव आऱ पी़ ओझा ने कहा कि चिकित्सकों
की हड़ताल से निपटने के लिए पूरी तैयारी कर ली गई है। राज्य के जिला
अस्पतालों में मेडिकल कॉलेज चिकित्सकों को भेजा गया है जबकि आयुष
चिकित्सकों को प्रखंड और अनुमंडल अस्पतालों की जिम्मेदारी दी गई है।
उन्होंने
कहा कि जिलाधिकरियों और सिविल सर्जनों को अस्पतालों की निगरानी करने के
निर्देश दिए गए हैं। सरकार चिकित्सकों की सभी मांगों पर विचार कर रही है,
इन कारणों से चिकित्सकों का हड़ताल पर जाने का कोई औचित्य नहीं है।