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नवगछिया पुलिस जिला में बह चली खून की धारा, सुरक्षा की जंग जहां हर कोई हारा

राजेश कानोडिया, नवगछिया (भागलपुर) : आज से पच्चीस साल पहले बने बिहार के पुलिस जिला नवगछिया के दामन पर खून, हत्या, लूट इत्यादि जघन्य दाग लगातार लगते आ रहे हैं। गत रविवार को भी एक बार फिर कभी न मिटने वाला दाग नवगछिया के दामन पर लग गया।

लगार नरसंहार (चार युवा खिलाड़ियों की हत्या) की घटना को अभी लोग भुले भी नहीं थे कि एक बार फिर एक साथ तीन लोगों की नृशंस हत्या से पुलिस जिला नवगछिया दहल गया। एक सप्ताह के अंतराल में ही नरसंहार की दो-दो घटनाएं हो गईं। इसी नवंबर माह में अलग-अलग चार और लोगों की हत्या हुई हैं। पिछले एक नवंबर से लेकर अबतक यानी महज 26 दिनों में 11 लोगों के खून की धारा बह गयी।

25 नवंबर को रंगरा ओपी क्षेत्र में एनएच-31 किनारे भवानीपुर टावर चौक पर एक गार्ड भवानीपुर के चंद्रशेखर यादव को गोलियां से भून दिया गया।

इससे पहले 14 नवंबर को इस्माइलपुर थाना क्षेत्र के साहु परबत्ता निवासी किसान अखिलेश मंडल की बिनोवा दियारा में गोली मारकर हत्या कर दी गई।

इससे पहले 12 नवंबर को परबत्ता थाना क्षेत्र के राघोपुर निवासी मोती मंडल की गोली मारकर हत्या कर दी गई।

इससे पहले 17 नवंबर को नवगछिया थाना क्षेत्र के नगरह निवासी पंचायत समिति सदस्य के पति सुनील शर्मा की गोली मारकर हत्या कर दी गई।

इससे पहले 13 नवंबर को बिहपुर के गौरीपुर निवासी सौरव राय, छोटू कुमार और खरीक के नरकटिया निवासी प्रदीप झा और श्रवण चौधरी की एक साथ गोली मारकर हत्या कर दी गई। घटना को खगड़िया जिले के परबत्ता थाना क्षेत्र अंतर्गत छोटी लगार गांव के समीप अंजाम दिया गया। हत्या के बाद चारों युवकों के शवों को गंगा नदी में फेंक दिया गया, जिसमें अबतक एक शव की बरामदगी हुई है।

वहीं 26 नवंबर की अल सुबह बिहपुर थाना क्षेत्र के झंडापुर महादलित टोले में घर में घुसकर एक ही परिवार के चार लोगों को धारदार हथियार से काट दिया गया। इसमें तीन लोगों की मौत हो गई। जबकि गंभीर रूप से जख्मी एक किशोरी पटना पीएमसीएच में जिंदगी और मौत से लड़ रही है।

बताते चलें कि 1992 में इसी नवगछिया के भवनपुरा गांव में एक नरसंहार हुआ था। जिसमें पांच लोगों की सामूहिक हत्या हुई थी। जिससे मुख्यमंत्री लालू प्रसाद का दिल दहल उठा था। घटना की सुबह ही हेलीकॉप्टर से नवगछिया पहुंचकर घटना का जायजा लिया। वापस पटना पहुंचते ही नवगछिया को पुलिस जिला बना हत्या एवं संगीन व बड़े अपराध पर भी लगाम लगाने एसपी की पोस्टिंग कर दी।

लेकिन इस पच्चीस वर्षीय पुलिस जिला नवगछिया में जब जब डायरेक्ट आईपीएस एसपी को पदभार मिला तब तब पुलिस की थोड़ी हनक दिखी और अपराधी काबू में रहे। उसके बाद तो पुलिस और अपराधी के बीच वही घोड़ा और वही मैदान वाली कहावत चल पड़ती है।

बहरहाल इस पच्चीस वर्षीय पुलिस जिला के सत्ताइसवें पुलिस अधीक्षक हैं पंकज सिन्हा। जिनकी पदस्थापना 5 अगस्त 2015 को यहां हुई है। यह अलग बात है कि ये 20 दिनों के विशेष प्रशिक्षण में गये थे। तब तक के प्रभारी एसपी सुधीर कुमार सिंह ने अपना डंडा खूब चमकाया। छह सालों से फरार पचास हजार के इनामी कुख्यात अपराधी की गिरफ्तारी संभव हुई।

यह अपराध ग्रस्त नवगछिया पच्चीस साल पहले पुलिस का जिला तो बन गया। लेकिन आज तक इसे पूर्ण यानि राजस्व जिला का दर्जा बिहार सरकार नहीं दे पायी है। जिसकी वजह से इसका सर्वांगीण विकास अब तक कुछ भी नहीं हो पाया है। आज तक यहां एक भी उद्योग स्थापित नहीं हो पाया है। जबकि केला और मक्का उत्पादन में नवगछिया देश भर में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। जहां से हजारों ट्रक केले देश के हर कोने में ले जाए जाते हैं। मक्का की तो दर्जनों रेल गाड़ियां नवगछिया रैक प्वाइंट से लोड होकर देश की बड़ी बड़ी फैक्ट्रियों में पहुंचती है।

क्षेत्र के सामाजिक और राजनैतिक लोगों की मान्यता है कि नवगछिया को सिर्फ पुलिस जिला बनाने से यानि पुलिसिया डंडा चलाने से बढ़ते अपराध पर लगाम नहीं लग सकता। यहां जरूरी है क्षेत्र का सर्वांगीण विकास हो, लोगों को पर्याप्त रोजगार मिले, स्वास्थ्य और शिक्षा के स्तर में गुणात्मक सुधार हो, त्वरित न्याय की प्रक्रिया सरल और सुलभ हो।

इसके लिये जरूरी है नवगछिया को पूर्ण जिला का दर्जा दिया जाय, जिला न्यायालय एवं राज्य न्यायालय के खंडपीठ की स्थापना हो, खाद्य प्रसंस्करण आधारित उद्योग लगें, स्वास्थ्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार हो, पर्यटन की संभावनाओं को विकसित किया जाय। जिसके लिये सूबे के मुखिया से कई बार सत्ता पक्ष और विरोधी दलों के अलावा सामाजिक संगठनों द्वारा भी मांग की गयी। लेकिन सूबे के मुखिया नीतीश कुमार की नवगछिया पर नजर कब घूमेगी पता नहीं। जबकि वे स्वयं इसी नवगछिया की धरती पर कई बार पधार कर धरहरा की परंपरा 'बेटी के जन्म पर फलदार पौधे लगाना' को निभाये और देश दुनिया तक संदेश भी पहुंचा चुके हैं।